School Days
स्कूल वो हसीन मन्ज़र था जो एक बार फिर से देखना चाहतें है, वो लम्हे वो दास्ताँ फिर से दोहराना चाहतें है। याद है आज भी वो दिन जब नन्हे कदमो के साथ इसमे प्रवेश किया था, सारे एक दम अनजाने थे फिर भी कितनो को अपना किया था। सफ़र की शुरुआत मे तो बड़ा मज़ा आता था, खेलना कूदना और शरारतें ही जब काम हुआ करता था। वो भी क्या दिन थे जब वॉटर कूलर तक रेस लगाते थे, बस मे खिड़की वाली सीट के लिये खेलकर फैसला किया करते थे। स्कूल ने ना जाने कितना कुछ सिखाया, ऐसे ही थोड़ी इसने अपना दीवाना है अब तक बनाया। प्रेयर ना आते हुए भी होंठ हिलाना एक अलग कला ही थी, गेम्स पीरियड मे पी•टी• करने की सजा भी हमे बहुत बार मिली थी। वो वर्षिक उत्सव मे हिस्सा लेना भी बहुत याद आता है, वो वर्षिक उत्सव मे हिस्सा लेना भी बहुत याद आता है, दूसरे स्कूल मे जा के अपने स्कूल को जीत दिलाना आज भी गर्व का अहसास करा जाता है। स्कूल मे ही तो पहली बार प्यार का बुखार भी चड़ा था, पता नही क्यू ऐसा लगता है वही मेरा सच्चा वला प्यार था। वो छोटी मोटी अनबन पर बाहर मिल लेना ये बोलने का अहसास कुछ अलग ही था, तो एक दोस्त के बाहर ...