Yaari

यारी के बारे मे क्या कहू ये जिन्दगी का सबसे प्यारा अफ्साना हैं,
कैसे बताऊ वो सारे के सारे आज भी मेरे  दिल को करे हुए दीवाना हैं।
ये जिन्दगी एक सुहाना सा सफ़र है,
इत्ने प्यारे यारों से मिलाया ये मेरा मुक़द्दर है।
वो अनजानों की तरह मिले थे और अपना बना गये,
उदासी को हमेशा छीना और जिन्दगी जीना सिखा गये।
वक़्त के साथ दूरियां तो ज़रूर बढ़ीं इनसे, 
लेकिन रिश्ता और प्यार भी लगातार बढ़ता ही गया इनसे।
सुख और दुख की बातें तो सिर्फ आशिक़ी में ही आती हैं,
यारों और दोस्ती की तो सिर्फ बातें ही सुकून दे जाती हैं।
वो बचपन वाले यार सबसे कमाल के थे,
शाम होते ही घंटी बजाते और जिस भी हाल में हूँ खेलने को ले जाते थे।
बचपन की शरारतों को किस्सा नहीं काण्ड बनाने मे विश्वास रखते थे,
ऐसे ही थोड़ी हमारी यारी कि मिसाल पूरे मोहल्ले वाले दिया करते थे।
स्कूल के यारों की याद तो आज भी बहुत आती है,
उनकी बातें और ठहाको कि गूंज दिल में फिर से सुनाई दे जाती है।
टीचरों से हम हमेशा ही साथ डांट खाया करते थे,
पर फिर भी अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आया करते थे।
आपस में एक दूसरे से हमेशा ही बहुत लड़े थे,
लेकिन दूसरे से लड़ने के लिये हमेशा ही साथ खड़े थे।
टीचर का मज़ाक भी साथ मे मिलकर बनाये थे,
लन्च से पहले दूसरों के डब्बे भी साथ मे खाये थे।
स्कूल के बाद चाट खाने रोज़ जाते थे,
पैसे ना देने पड़े इसलिये हाथ धोने के बहाने बनाते थे।
स्कूल मे पानी से होली भी बहुत खेले थे,
दिवाली पर चुप चाप वॉशरुम मे बम भी साथ मे फोड़े थे,
स्कूल खत्म हुआ तो ऐसा लगा रिश्ता ही टूट जायेगा,
लेकिन सबने वादा किया कि जिसका भी जनंदिन पर फोन नही आया  वो बहुत मारा जायेगा।
जिस शर्ट को साथ मे कोसे थे,
पेन्फेस्त में दोस्ती कि यादें भी उन्हीं मे साथ समेठ कर ले गये थे।
स्कूल खत्म ही हुआ था और हम थे कॉलेज मे आये,
अपनी उम्मीदों को साथ लेकर नज़ाने कितने सपने थे सजाये।
हमारे लिये तो ये एक नयी शुरुआत है,
कॉलेज वाले यारों मे कुछ अलग सी ही बात है।
मैगी कि एक प्लेट में दस लोग साथ खाये है,
असाइनमेंट भी रातों को जागकर हमने साथ मे बनाये है,
दिल टूटने पे एक दूसरे को बड़े प्यार से समझाये है,
बंक के लिये बहाने भी हमने साथ मे बनाये है,
मै क्या बताऊ कि कितना खुशनसीब  हूँ,
क्युंकि मै अपने हॉस्टल वाले यारों के इतना करीब हूँ,
 इनकी जितनी तारीफ करुँ उतना कम है,
अगर मै दिल हूँ तो ये मेरी धड़कन हैं,
अगर मै संगीत हूँ तो ये सरगम हैं,
अगर ये साथ है तो हर दर्द का मेरे पास मरहम है।
वो पहली मुलाकात,वो पहली बार बात वो पहली नाइटआउट वाली रात सब याद है,
वो बर्थडे पर  तगड़ी  वाली मार भी बहुत अच्छे से याद है।
अपने यारों कि यादें नहीं इनको दिल मे बसाना चाहता हूँ,
हमारे याराने को बरक्कत मिलती रहे खुदा से ऐसी ही  आशा करना चाहता  हूँ।
आसमान से उँची और समंदरो से गहरी है हमारी यारी,
बर्फ कि कोई सिल्ली नही बर्फ का पहाड़ है हमारी यारी।
बर्फ कि कोई सिल्ली नही बर्फ का पहाड़ है हमारी यारी।

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